उसने उस समय के बारे में सोचा जब उसका दिल उसके लिए उसके सीने से लगभग धड़क जाएगा। उसने आखिरकार इस तथ्य को स्वीकार कर लिया कि वह उस रचना को फिर कभी नहीं सुनेगी। उसने फिर कभी उसकी उस मीठी औषधि का स्वाद नहीं चखा होगा जिसने एक बार उसे पूरी तरह से पकड़ लिया था।
अब, हालांकि, वह अब भावनात्मक रूप से उसी चीज से बंधी नहीं है जिसने उसके फलदायी खिलने में देरी की।
यह सब अंत में समझ में आता है।